जिनके दिल में समाए हुए हैं ।
दूर रहकर वह पूर् बा आशना है,
दिल मदीना बनाए हुए हैं । ।
जिनको उनकी तवज्जो ने पाला,
उनकी रहमत ने जिनको नवाज़ा ।
उन गदाओं का क्या पूछते,
हो वो ज़माने में छाए हुए है।।
मेरे आका कि जिन पर नज़र है,
दोनों आलम की उनको खबर है ।
जिनका मकसूद उनका ही दर है,
सारे असरार वो पाए हुए हैं ।।
आले अतहर का सदका अता हो,
मुफलिसी का हमारे भला हो ।
ए सखी आपके दर पर हम भी,
दामने दिल बिछाए हुए हैं ।।
30 पैरों में जो कुछ लिखा है,
सर बसर सीरते मुस्तफा है ।
उनकी सीरत में जो ढल गया है,
उस पर रहमत के साए हुए हैं ।।
मेरी औकात कुछ भी नहीं,
खुद मेरी ज़ात कुछ भी नहीं ।
मेरे सरकार का यह करम है,
बात मेरी बनाए हुए हैं ।।
आरजू ए करम दिल में लेकर,
खालिद उनके सखियां सकता पर ।
अग्लिया औलिया असफिया सब,
अपने कासे बनाए हुए हैं।।
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Shukriya janab