चिड़ियों की है चहकार मगर तेरी कमी है ।
गुलशन में गुलाबों की कमी कोई नहीं है ।
कहता है दिल ए ज़ार मगर तेरी कमी है ।।
रमज़ान की रौनक थी तेरे दम से दोबाला ।
है सहरी ओ इफ्तार मगर तेरी कमी है ।।
किस्मत ने किया दौलत ए ममता से है महरूम ।
दौलत का है अंबार मगर तेरी कमी है ।।
बेहलिम के अमराज़ की तसखिस करे कोन ।
ए वातीब ए असरार मगर तेरी कमी है ।।
तू सामने होती तो कलम जूम के लिखता ।
लिखता तो हूं अश आर मगर तेरी कमी है ।।
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Shukriya janab